Thursday, February 11, 2010

महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar): JNU के प्रोफ़ेसर आरक्षण नहीं चाहते, वामपंथियों के पाखण्ड का एक और उदाहरण… … Reservation in JNU, JNU and Communists, Caste system and Communist

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    • JNU की एकेडेमिक काउंसिल के 30 प्रोफ़ेसरों ने कुलपति बीबी भट्टाचार्य से लिखित में शिकायत की है कि विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर और असोसियेट प्रोफ़ेसरों के लिये 149 पदों के लिये आरक्षण नहीं होना चाहिये। यह सुनकर उन लोगों को झटका लग सकता है, जो वामपंथियों को प्रगतिशील मानते हों, जबकि हकीकत कुछ और ही है। अपने बयान में प्रोफ़ेसर बिपिनचन्द्र कहते हैं, “असिस्टेंट प्रोफ़ेसर से ऊपर के पद के लिये आरक्षण लागू करने से इस विश्वविद्यालय की शिक्षा का स्तर गिरेगा… और यह संस्थान थर्ड-क्लास संस्थान बन जायेगा…” (अर्थात प्रोफ़ेसर साहब कहना चाहते हैं कि आरक्षण की वजह से स्तर गिरता है, और जिन संस्थानों में आरक्षण लागू है वह तीसरे दर्जे के संस्थान बन चुके हैं)…

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