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- कम्युनिस्ट चीन की सेंसरशिप के कारण दुनिया को शिनजियाग संकट की वास्तविक हालत का पता नहीं है, किंतु तुलना करे तो शिनजियांग चीन का कश्मीर है। कश्मीर में मुस्लिम अलगाववाद की जिस समस्या से भारत दो-चार हो रहा है, ठीक वैसी ही स्थिति से 1949 में चीन को भी त्रस्त होना पड़ा था।
- कश्मीर पर पाकिस्तान ने जब आक्रमण किया तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने प्रारंभ में ढुलमुल रवैया अपनाए रखा। तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल के हस्तक्षेप के कारण भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। अधिकांश कश्मीर से पाकिस्तान को खदेड़ भगाया गया, परंतु पं. नेहरू ने अचानक भारतीय सेना के पांव में बेड़ियां डाल दीं। कार्रवाई रोक देने के कारण पाक के कब्जे में कश्मीर का कुछ क्षेत्र रह गया। वह पाक अधिकृत कश्मीर आतंकवाद की पौधशाला बना हुआ है। दूसरी बड़ी गलती इस मसले को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाना था। इस अदूरदर्शिता के कारण कश्मीर समस्या वस्तुत: एक अंतरराष्ट्रीय मसला बन गया है। इसके ठीक विपरीत चीन ने उइगर मसले को अंतररष्ट्रीय बिरादरी के हस्तक्षेप से दूर रखने की हरसंभव कोशिश की।
- कश्मीर को अपना अंग बनाए रखने के लिए भारत को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। भारत के अन्य राज्यों को दिया जा रहा प्रति व्यक्ति केंद्रीय अनुदान 1,137 रुपये है, जबकि कश्मीर को 8,092 रुपये की दर से अनुदान मिल रहा है। यदि कश्मीर की कुल आबादी को पांच व्यक्तियों वाले परिवार में विभक्त करे तो प्रति परिवार यह राशि 40,460 रुपये प्रति वर्ष बैठती है।
- [बलबीर पुंज : लेखक भाजपा के राज्यसभा सदस्य है]
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Friday, July 24, 2009
शिनजियांग का सबक - Jagran - Yahoo! India - Opinion News
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2009-07-24T22:05:00+05:30
Common Hindu