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- देवता वर्षाकाल में अधोलोक,शीतकाल में मध्यलोक तथा ग्रीष्मकाल में उधर्वलोक को चले जाते हैं---इसका तात्पर्य ये है कि वर्षा ऋतु में शरीर का समस्त तेज पैरों में, शीत ऋतु में पेट में और ग्रीष्म ऋतु में सिर पर होता है। प्रमाणस्वरूप वर्षाकाल में पैरों में सर्दी का अनुभव नहीं होता, शीतकाल में भूख अधिक लगती है और ग्रीष्मकाल में सिर पर शीघ्र गर्मी चढ जाती है।
- देवोत्थान(देवताओं के जाग उठने) का अर्थ ये है कि जब जठराग्नि जाग उठी तो उसका तेज(उष्मा) पैरों से चलकर पेट में आ गया।
- तो चाहे विश्व का कोई भी धर्म हो उसके मूल में सिर्फ इन्सान का भय और श्रद्धा ही काम करती है लेकिन यदि आप गहराई से सनातन धर्म का अध्ययन करें तो पाएंगे कि हिन्दू धर्म विश्व का एकमात्र वैज्ञानिक धर्म है,जिसका प्रत्येक नियम,परम्परा अपने भीतर विज्ञान समेटे हुए है।
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!! समर्थ हिन्दु, समर्थ हिन्दुस्थान !!;........................!! समर्थ हिन्दुस्थान, समर्थ विश्व !!............................ All the posts on this blog are re-postings and post headings point towards the actual posts.
Wednesday, September 16, 2009
आपके सवाल------ हर साल ये देवता सोने क्यूँ चले जाते हैं? (देवशयन) - ज्योतिष की सार्थकता
आपके सवाल------ हर साल ये देवता सोने क्यूँ चले जाते हैं? (देवशयन) - ज्योतिष की सार्थकता
2009-09-16T21:52:00+05:30
Common Hindu