Sunday, December 6, 2009

पास्ट लाइफ कनेक्शन!-हेल्थ खबरें-घर-परिवार -Navbharat Times

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    • पास्ट लाइफ रिग्रेशन की इन दिनों खूब चर्चा है। भले ही इसकी चर्चा किसी शो के बहाने हो रही हो, लेकिन सच यही है कि यह कोई नई चीज नहीं है।
      भारतीय ही नहीं, तमाम सभ्यताओं और संस्कृतियों के लोगों को सदियों से इसमें विश्वास रहा है और वे अपने फायदे के लिए इसे यूज भी करते रहे हैं:
    • पुनर्जन्म है आधार
      दरअसल, पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरेपी का सिद्धांत आधारित है पुनर्जन्म के सिद्धांत पर। हिंदू सहित तमाम धर्मों, संप्रदायों और सभ्यताओं में पुनर्जन्म के सिद्धांत पर विश्वास किया जाता है। इसके अलावा, यह थेरेपी काफी हद तक 'कॉज ऐंड इफेक्ट' थिअरी पर भी आधारित है। गौरतलब है कि ये दोनों ही सिद्धांत भगवद्गीता के मूल आधार हैं।
    • डॉ. के. न्यूटन के अनुसार, महर्षि पतंजलि ने अपने 'योग सूत्र' में पास्ट लाइफ रिग्रेशन को 'प्रति प्रसव' यानी 'री-बर्थ' के नाम से उल्लेख किया है। 'प्रति प्रसव' के दौरान व्यक्ति अपनी स्मृतियों या मेमरीज को दोबारा जीता है। व्यक्ति जब मेमरीज में जाकर अपनी समस्याओं के कारण, उसके दर्द और संवेदना को दोबारा जीता है, तो इस प्रक्रिया में काफी हद तक वह उनसे छुटकारा पा लेता है। मुंबई की क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट व रियलिटी शो 'राज पिछले जनम का' की एक्सपर्ट थेरेपिस्ट डॉ. तृप्ति जैन कहती हैं, 'पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरेपी में व्यक्ति को प्रॉब्लम की जड़ तक पहुंचने में मदद की जाती है। इस प्रक्रिया में जब वह प्रॉब्लम के पीछे छिपे कारण को जीता है, तो वह समझ जाता है कि यह वजह उसके मौजूदा दौर से संबंधित न होकर पिछले किसी जन्म से है और इस अहसास भर से ही उसे पिछली भावनाओं या अनुभवों से छुटकारा मिल जाता है।'

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